जीएसटी क्या है (What is GST) फुल जानकारी इन हिंदी
नमस्कार दोस्तों एक बार फिर से स्वागत है आज की इस पोस्ट में हम आप लोगों को बताने वाले हैं कि “जीएसटी क्या है (What is GST) फुल जानकारी इन हिंदी” भारत में जब जीएसटी की घोषणा की थी और दोस्तों जीएसटी के विरोध में इस प्रकार दोस्तों बहुत ही बड़ा बवाल मच गया था विरोध का यही कारण था कि जीएसटी के बारे में बहुत से लोगों में गलतफहमी हो गई थी। इस पोस्ट में हम आप लोगों को जीएसटी क्या होता है जीएसटी का फुल फॉर्म क्या होता है इन सब के बारे में विस्तारपूर्वक जानेंगे।
जीएसटी की फुल फॉर्म क्या होती है?
जीएसटी शब्द 3 शब्दों से मिलकर बना हुआ short रूप होता है GST का फुल फॉर्म होता है, good and service tax यह होता है और दोस्तों GST को हिंदी में चीज एवं सेवा करने से पहचाना जाता है।
What is GST? जीएसटी क्या होता है?
जीएसटी एक कर होता है जो कोई वस्तु या सेवा खरीदने पर किसी कस्टमर पर लगाया जाता है जो दोस्तों 1 जुलाई 2017 में नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा जारी किया गया था ऐसा पहले बिल्कुल नहीं था और इससे पहले कोई टैक्स नहीं लगता था।
Tax सरकार का एक अधिकार है जो जीएसटी से पहले कस्टमर पर डायरेक्ट टैक्स इनडायरेक्ट टैक्स इन दो प्रकार से लगाया जाता था direct tax वह जो लोग सीधा लिया जाता था income tax, property tax,wealth tax, gift tax, Corporation tax, इस प्रकार बहुत टेक्स शामिल होते हैं।
जब आप लोग indirect tax मैं exercise duty tax, custom duty tax, Sale Tax इस प्रकार लोगों पर ज्यादातर लगते रहते हैं ऐसे में दुस्तूप कुल मिलाकर 17 तरीके के टैक्स शामिल थे इस प्रकार दोस्तों मोदी सरकार ने सभी प्रकार के टैक्स खत्म कर दिए और उसमें जीएसटी टैक्स शामिल कर दिया गया अब केवल एक ही प्रकार का टैक्स लगेगा जिसे हम अब GST कहती है।
तो दोस्तों अब हम सरल भाषा में कहें तो की अलग-अलग indirect tax ko एक ही नाम दे दिया है और एक ही टैक्स में चेंज कर दिया गया है अब उसका नाम हो गया है GST direct tax मैं कोई चेंजेज नहीं हुआ है इस प्रकार आप लोगों को यह टेक्स देना बहुत ही आवश्यक होता है।
इस प्रकार इस के नाम से ही पता चलता है कि इस जीएसटी टैक्स को माल और सर्विस पर ही लगाया गया है इसकी सबसे बड़ी खासियत दोस्तों है कि किसी भी एक समान पर इसका सारा रेट पूरे देश में एक ही समान होगा यानी दोस्तों आप देश के किसी भी भाग में मौजूद ग्राहक को उस वस्तु पर एक समान टैक्स चुकाना पड़ता है।
दोस्तों पहली टैक्स की बहुत ही गड़बड़ी की जाती थी लेकिन आज के समय में ऐसा करना बहुत ही मुश्किल हो गया है यही माल अगर आप लोग एक राज्य से दूसरे राज्य में जा रहा होता है तो उस राज्य में घुसते ही आप लोगों की माल पर entry tax लगाना होता है इसके बाद जगह-जगह जोगिया अलग से देखने को मिल जाती हैं जब दोस्तों माल बिकने की बारी आती थी तो सेल टैक्स यानि वेट की मार ऐसी बहुत सी मामलों में खरीदारी टैक्स भी लगाया जाता था सामान अगर आपका दिल आस्था से जुड़ा होता है तो लग्जरी टैक्स अलग से लगता था होटल और रेस्टोरेंट मैं वह सामान अवेलेबल कराया जाता था तो सर्विस टैक्स अलग से रहता था।
इसका मतलब यह होता है कि ग्राहक के हाथों में पहुंचने से पहले सामान या फिर बहुत सी स्टेज पर ड्यूटी या टैक्स सी गुजरती थी इस प्रकार किसी भी सामान्य सेवा के रेट की बहुत टैक्स अलग से लग जाते थे और यही जरिया है जिसके चलते जीएसटी लाने की स्थिति आना बहुत ही जरूरी हो गया था।
फिलहाल में भारतीय संविधान में indirect taxes संबंधित जो पुरानी नियम लागू थे उनमें से वस्तुओं के उत्पादन और सेवाओं पर टैक्स लगाने का अधिकार अब केंद्र सरकार को सौंप दिया गया है जबकि दोस्तों वस्तुओं की बिक्री पर टैक्स लगाने का अधिकार राज्य सरकार को क्या है इस प्रकार सब ने अपने अपने हिसाब से नियम बना डाली थी और सीरिया तय की जाती थी इसी चक्कर में एक-एक सामान पर बहुत सारे टैक्स और कभी-कभी टैक्स के ऊपर टैक्स के हालात में इस प्रकार बहुत हो गए थे।
कभी कभी छोटे व्यापारी और कंपनियां हमेशा इन नियमों और कानूनों में कॉलेज जाती थी कि अतिथियों को दूर करने के लिए जीएसटी को ऐसे एक आग्रह कानून के रूप में लाया गया था जो माल एवं सेवाएं दोनों की प्रोडक्शन से लेकर सेल तक पर जो टैक्स लगाया जा सके प्रोडक्शन और खेल का विभिन्न पेंच खत्म करने के लिए जीएसटी का केवल एक ही आधार चेक कर दिया रोहित अप्लाई करने के लिए बाकी टैक्स कानूनों में चेंज कर दिया गया और संसद में अभी बाकी संविधान संशोधन की प्रक्रिया अपनाई गई थी जिसकी वजह से जीएसटी कानून पारित होने में इतना लंबा टाइम लग गया था।
GST किस किस को देना होता है?
जीएसटी क्या होता है इसको समझने के बाद आप लोग अब आगे समझेंगे कि जीएसटी किस पर लगता है और जीएसटी का टैक्स किस किसको देना होता है जीएसटी आमतौर पर तीन प्रकार से देना होता है आइए विस्तार पूर्वक अब हम जानेंगे
1. 20 लाख से ऊपर turnover:-
अगर आप लोगों में से किसी का व्यापार या बिजनेस का सालाना टर्नओवर 2000000 या फिर इससे काफी ज्यादा है उस अवस्था में आप लोगों को एचडी देना होता है यहां पर मुनाफे की बात नहीं की जा रही है सिर्फ आप लोगों से कहा जा रहा है कि यहां पर लागत देखा जाता है मुनाफा इनकम टैक्स में शामिल किया गया है।
2. एक राज्य से दूसरे राज्य में खरीददारी:Tax
अगर कोई व्यक्ति एक दूसरे राज्य में कुछ खरीदारी करता है चाहे आप में से ₹5 खरीदारी करें तो उससे भी अधिक आपको जीएसटी टैक्स देना होगा।
3. Ecommerce Website द्वारा ऑनलाइन शॉपिंग:tax
अगर कोई व्यक्ति किसी भी ई-कॉमर्स वेबसाइट जैसे कि अमेजॉन फ्लिपकार्ट जोमाटो स्विग्गी, से सामान और करता है तो आप लोगों को उस पर जीएसटी देना बहुत ही आवश्यक होता है। इस प्रकार आप लोग जान गए होंगे कि जीएसटी बिल क्या होता है जीएसटी बिल किस किस पर लगता है तो अब हम आगे जानेंगे कि जीएसटी कितने प्रकार का होता है।
जीएसटी कितने प्रकार का है?
हमारी भाषा में हमें लगता है कि जीएसटी एक प्रकार का होता है और इस जीएसटी को अलग-अलग प्रकार से गिना जा सकता है प्रारंभ में जब जीएसटी भारत में लागू किया गया था तब भी नासमझ इस बात से विरोध हो रहा था क्योंकि तब दोस्तों ऐसा लग रहा था कि जीएसटी के कितने प्रकार हो सकती हैं उन सभी को कैसे भरना होगा?
जैसा कि जीएसटी टैक्स 18 परसेंट हुआ पर जीएसटी के प्रकार चार होने के जरिए से 18 प्लस 18 प्लस 18 प्लस 18 कुल मिलाकर 72 परसेंट इससे लोगों को बहुत ज्यादा धक्का लगा था और इस विरोध काफी ज्यादा बढ़ गया था पर दोस्तो ऐसा नहीं है आप लोगों को सिर्फ एक ही जीएसटी टैक्स देना होता है आप लोग किसी भी प्रकार की जीएसटी टाइप मैं हूं सकती है आई एम विस्तार पूर्वक जानेंगे जीएसटी कितने प्रकार की है।
GST मुख्य रूप से चार प्रकार होते हैं जो निम्न प्रकार है।
1. Central Government GST.
2. State government GST,
3. UTGST (Union Territory GST)
4. IGST (Integrated GST)
इन सभी प्रकार की जीएसटी का विभिन्न योगदान और महत्व होता है और भिंड जगह इसका इस्तेमाल होता है आइए हम जानते हैं इन सभी प्रकार की जीएसटी के बारे में विस्तार पूर्वक समझते हैं।
1.Central Government GST (CGST)
इस जीएसटी का पूरा नाम सेंट्रल गवर्नमेंट जीएसटी होता है जो जीएसटी टैक्स हम पर लगता है और देश का सेंटर गवर्नमेंट को सौ पर्सेंट देना होता है और उस देश का मुखिया की सबसे यह टेक्स उसका मुख्य अधिकार है। CGST को आप लोगों को हर हालत में देना होगा।
2.State Government GST (SGST)
अगर आप लोग देश के किसी भी राज्य में कोई वस्तु खरीदते हैं और बिक्री एवं सेवाओं वह टैक्स आप लोगों को देना होता है उसे हम SGST कहते हैं यह जीएसटी भी हम लोगों को 9पर्सेंट देना होता है इसे हम लोग एक उदाहरण के जरिए जान सकते हैं। मान लीजिए आप लोग लखनऊ में कोई खरीदारी या बिक्री पर 18% जीएसटी टैक्स देना होगा जिसमें से एसजीएसटी नो परसेंट और सीजीएसटी 9 परसेंट होगा दोस्तों इन दोनों को मिलाकर कुल जीएसटी 18 परसेंट आपको देना होता है।
3.Union Territory GST (UTGST)
भारत में ऐसी बहुत सी राज्य हैं वैसे तो केंद्र शासित प्रदेश भी उनमें से एक है जैसे,दिल्ली,निकोबार, दीप समूह,अंडमान,दादरा, लक्षदीप,जम्मू और कश्मीर,आदि इन सभी देशों में जीएसटी देना शामिल होता है तो इसके लिए आप लोगों को UTGST का निर्माण कर दिया गया है दोस्तों इस की गणना बिल्कुल एसजीएसटी की तरह ही है यहां पर UTGST+CGST = 18% देनी होगी।
4.Integrated GST (IGST)
इस तरह की GST मैं एक राज्य से दूसरे राज्य के लेनदेन इस प्रकार का यूज किया जाता है उदाहरण के लिए जानते हैं कि अगर कोई वस्तु उत्तर प्रदेश में बन रही है और उस सामान की बिक्री हम लोग ग्वालियर में कर रहे हैं तो उत्तर प्रदेश को टैक्स लगता है CGST+SGST = 19% GST इस प्रकार देना होता है।
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लेकिन सामान की बिक्री ग्वालियर में हो रही है तब सेंट्रल गवर्नमेंट 9 परसेंटेज ग्वालियर राज्य सरकार को देना होता है इसमें दोनों राज्यों को लाभ होता है क्योंकि उत्तर प्रदेश में सामान तैयार हुआ फैक्ट्री बनकर तैयार हुई लोगों को रोजगार भी मिल गया इस प्रकार लोगों का विकास भी हो गया इस प्रकार सामान बेचने पर ग्वालियर की कंपनी को भी फायदा हुआ क्योंकि अगर आपका सामान नहीं दिखता तो उत्तर प्रदेश की कंपनी को फायदा कैसे मिलता और इस टैक्स को मिलने से ग्वालियर राज्य में विकसित हो जाता है।
इस प्रकार जीएसटी का मेन उद्देश्य ही होता है किस सारे भारत में एक समान टैक्स हो और संपूर्ण भारत में किसी भी किसी भी राज्य में कंपनी की स्थापना कर सकते हैं क्योंकि अब एक समान टैक्स हो गया है अगर ऐसा होता कि एक राज्य में टैक्स कम है और दूसरे राज्य में इससे ज्यादा है तो इस प्रकार कंपनी कम टैक्स वाली राज में ही अपना कारोबार प्रारंभ करने की इच्छुक करती।
इससे दोस्तों यह तो हो सकता है कि जो वस्तु आपको एक राज्य में मिले उसकी कीमत दूसरे राज्य से कम या ज्यादा हो सकती है पर जीएसटी के बाद ऐसा आप लोगों को देखने को नहीं मिलता है जीएसटी के बहुत सारे फायदे होते हैं तो अब आएंगे हम जानते हैं जीएसटी के क्या फायदे हो सकते हैं।
GST के फयदे क्या हो सकते है?
1. दोस्तों जीएसटी के भारत में आ जाने के बाद अब किसी भी राज्य से सामान की खरीदारी बिक्री तथा सेवाओं पर लेने वाला सभी टैक्स एक समान हो गए हैं।
2. आप लोग अब किसी भी राज्य में हो अब आप लोगों पर एक ही टैक्स एक ही समान लगेगा।
3. दोस्तों जीएसटी से पहले किसी सामान पर लोगों को सेल्स टैक्स,वेट,मनोरंजन टैक्स,इस प्रकार के करीब 20 से अधिक टैक्स लगती थी जिनको गिना जाए तो दोस्तों यह 30 से 35 टैक्स हो सकते थे अब जीएसटी के बाद यह सिर्फ टैक्स 18 परसेंट ही लगते हैं।
4. किस प्रकार दोस्तों सारे देश में यह समान ही विकास होंगे।
5. आप लोग जहां कहीं भी एक ही ट्रैक होने की वजह से कहीं भी अपना काम कर सकते हैं आपको एक ही समान टैक्स लगेगा।
6. विदेशी कंपनी भी इससे प्रभावित होगा ही हैं।
मैं आशा करता हूं कि आप लोग जान गए होंगे जीएसटी टैक्स क्या होता है और का यूज कैसे किया जाता है इस सब के बारे में आप लोग बहुत खूब जान गई होंगी अगली नेक्स्ट पोस्ट के लिए आपको बहुत धन्यवाद।
Mojahir ansari
Hii