Digital Signature क्या है ? और Digital Signature कैसे काम करता है?

Digital Signature क्या है ? और Digital signature कैसे काम करता है?

नमस्कार दोस्तों आज की पोस्ट में हम आप लोगों को बताने वाले हैं कि Digital signature Kya Hota Hai? and digital signature Kaise kam karta hai? के बारे में पूरी जानकारी और यह काम किस प्रकार करता है इसका हम बहुत जगह इस्तेमाल कर सकते हैं तो आज की दुनिया में यह signature digital हो चुका है तो इस आर्टिकल में हम इस टॉपिक से रिलेटेड कुछ तथ्य के विषय में विस्तार पूर्वक बात करने वाले हैं तो इस आर्टिकल को शुरू से लेकर अंत तक जरूर पढ़ें।

Digital Signature क्या होता है?

दोस्तों आज के इस digital जमाने में प्रत्येक किसी के पास समय की कमी है लेकिन जैसे ही जैसे टेक्नोलॉजी कितनी तरक्की की है वैसे ही हर काम हम लोग घर बैठे ही कर सकती हैं लेकिन कुछ कार्य काफी confidentiel होते थे जो हर व्यक्ति आइडेंटी को वेरीफाई के बिना नहीं कर सकते हैं।

दोस्तों इसी प्रकार आइडेंटी को physical Prove करने की अतिरिक्त digitally Prove करने के लिए आप लोगों को डिजिटल सिगनेचर का आविष्कार हो चुका है दोस्तों एक एडवांस cryptography टेक्नोलॉजी पर आधारित होता है

यह 1977 में Ronald R. और उनके दोस्तों द्वारा पहली बार RSA algorithm का आविष्कार किया गया था जी की सहायता से बड़ी बड़ी संख्या में digital signature की कोड को पाना बहुत ही आसान होता है आगे बढ़कर इस में और भी बहुत सारे इंप्रूवमेंट हो चुके हैं दोस्तों यह तब से अब तक बहुत ज्यादा अब अपग्रेड हो चुका है।

यानी दोस्तों यह एक digital signature की उतनी ही वैल्यू होती है जितनी हाथों से सिग्नेचर किया जाता है दोस्तों आज के समय में लगभग सभी तरक्की पसंद सभी देशों ने इस डिजिटल सिग्नेचर की उपयोगिता को लेकर और बहुत से महत्व को देखते हुए इसी सरकारी मान्यता भी दी गई है जिसमें दोस्तों भारत भी सम्मिलित है।

इंडिया में दोस्तों 1 नवंबर 2000 को आईटी एक्ट को सभी संपत्ति से बात किया था और इस प्रकार से भारत में कानूनी हो चुका है तो चलिए दोस्तों आप जानते हैं कि डिजिटल सिग्नेचर क्या होता है के बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार पूर्वक।

डिजिटल सिग्नेचर क्या होता है?

दोस्तों डिजिटल सिगनेचर disturb message डाक्यूमेंट्स की प्रमाणिकता की पुष्टि करने में एक मैथमेटिकल scheme होता है दोस्तों यह एक डिजिटल साइन किया होता है और इसमें एक महत्व विशेष कोड भी होता है इसका इस्तेमाल आप लोग किसी भी ऑनलाइन डॉक्यूमेंट की प्रमाणिकता और दर्शाने के लिए आसानी से किया जा सकता है। और एक वैलिड डिजिटल सिगनेचर एक प्राप्तकर्ता को यह है उम्मीद दिलाता है किस संधि से प्राप्त के जरिए बनाया गया होता है जो प्रेषक मैसेज भेजने से मना नहीं कर सकता है।

दोस्तों इस की वैल्यू हाथ से किए गए सिग्नेचर के बराबर होती है और देखा जाता है मस्ती किए गए signature को आसानी से मोडीफाई किया जा सकता है क्योंकि डिजिटल सिग्नेचर के साथ ऐसा संभव नहीं हो सकता है।

Digital Signature कैसे काम करता है ?

डिजिटल सिगनेचर provider एक विशेष रूप से प्रोटोकॉल का यूज करता है जिसे जनता key Infrastructure आप कह सकते हैं इसका यूज करने से सिंगर की डिटेल्स की आधार पर आप लोग दो प्रकार की long mathematical कोड जनरेट होता है जो निम्न प्रकार हो सकता है।

1.Private key

2.Public key

जब भी आप लोग कोई भी डाक्यूमेंट्स electronically sign करते हैं तू signature singer के द्वारा private key जनरेट होता है जिसमें हम लोग मैथमेटिकल algorithm के जरिए डाक्यूमेंट्स तो मैच करना होता है और सारी डिटेल चेक करना भी होता है फोर्स में शामिल करना भी होता है इस उन्नति को hash भी कह सकते हैं यह एक डिजिटल सिगनेचर की तरह एक मुख्य सिक्योरिटी होती है।

Hash को दोस्तों signer private key इंक्रिप्ट करता है इसी प्रकार डिजिटल सिगनेचर बनकर तैयार होता है digital signature signer कि डॉक्यूमेंट के साथ-साथ अटैक यानी दोस्तों यह ऐड हो जाता है और उसके साथ डाक्यूमेंट्स को साइन करने का टाइम और पब्लिक key.

जब आप लोग यह डॉक्यूमेंट प्राप्त करने वाले को मिलता है तू इसे सत्यापित करना और डॉक्यूमेंट के साथ-साथ जनता की का भी यूज़ करेगा जो साइनर के जरिए क्रिएट किया गया होता है जब हम लोग रिसीवर public key का यूज करते हैं तो वह फिर hash नागपुर रिसीवर के public के जरिए decrypt हो जाता है।

Digital signature working प्रोसेस

अगर दोस्तों किसी वजह से hash कोर रिसीवर की पब्लिक के द्वारा कोई मैचिंग हो जाता है इस डॉक्यूमेंट का मतलब कोई भी छेड़छाड़ नहीं हो पाई है इस प्रकार यह बिल्कुल असली है और रिसीवर के पब्लिक की डिस्क्रिप्शन से कोड मैच नहीं करता है तो इसका मतलब होता है कि आपका डॉक्यूमेंट असली नहीं है उसे किसी और व्यक्ति ने भेजा है।

ध्यान देने वाली बात तो यह होती है कि उपभोक्त प्रक्रिया में कहीं भी डॉक्यूमेंट को डिस्टर्ब तो नहीं कर दिया है क्योंकि डिजिटल सिगनेचर डॉक्यूमेंट से Issuer के पहचानने को वेरीफाई करना होता है और दोस्तों इसी प्रकार यह डॉक्यूमेंट उस नाम के आदमी द्वारा साइन किया गया है या यही डॉक्यूमेंट असली माना जाता है।

Private key और Public key क्या होता हैं?

दोस्तों आप लोग पब्लिक key को सीक्रेट key के सकते हैं क्योंकि यह सिग्नेचर और डॉक्यूमेंट साइंस करने वाले व्यक्ति के पास रहता है जो अपने डॉक्यूमेंट को साइन करने के लिए यूज में लाया जाता है और इसी प्रकार hash तू भी इससे इंक्रिप्ट किया जाता है। दोस्तों इसी प्रकार प्राइवेट key किसी दूसरे को शेयर नहीं किया जा सकता है जबकि दोस्तों पब्लिक key एक ओपन हुआ नॉन सीक्रेट key होता है उसे रिसीवर डाटा कोड स्क्रिप्ट करने के लिए यूज किया जाता है.

प्रत्येक सिग्नेचर की प्राइवेट key और पब्लिक key यूनिक होता है और दूसरे सिग्नेचर से कभी-कभी मैच नहीं कर पाता है digital signature इस प्रकार ट्रस्टेड authority के जरिए वेरीफाई किया जाता है उसे ca सर्टिफिकेट अथॉरिटी सकते हैं जैसा कि हम लोगों को एस एस एल certificate के प्रकार ca उपलब्ध कराता है।दोस्तों बेटर सिंघेश्वर यह प्रमाणित करता है कि किसी भी डॉक्यूमेंट की क्रिएटर से कभी भी इसके साथ छेड़छाड़ नहीं हो पाई है और के साथ ही यह डॉक्यूमेंट वेरीफाई सोर्स से क्रिएट होता है।

GB WhatsApp Download

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Digital signature का इस्तेमाल ईमेल सॉफ्टवेयर डिस्ट्रीब्यूशन बिजनेस,टेंडर इत्यादि मैं सबसे अधिक किया जाता है वर्ष के अंत में सबसे अच्छी बात तो यह होती है कि इतना अच्छा और ऑथराइज्ड होता है और इसके अतिरिक्त divorce papers योनि दोस्तों आईटी एक्ट के तहत नहीं होता है।

डिजिटल सिग्नेचर कहां से प्राप्त कर सकते हैं?

आप इंडिया में कहीं से भी मान्य CA से प्राप्त कर सकते हैं के लिए पैन कार्ड पुरुष आईडी होना बहुत ही आवश्यक होता है इस सब की बात दोस्तों एक एड्रेस प्रूफ होना बहुत आवश्यक होता है जैसा कि राशन कार्ड, पासवर्ड, कोई से 4 खुद के फोटो के प्राप्त ca ऑफिस को भेजना होता है।

मैं आशा करता हूं कि आप लोगों को अब digital signature के बारे में जानकारी हो चुकी होगी अब आपको इस प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है आएगी तो आप लोगों को अब अगली नेक्स्ट पोस्ट के लिए बहुत धन्यवाद।

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